स्मिता और डिसूजा के सच की दुनिया
विष्णु राजगढ़िया
कोई खुद अपना सच सार्वजनिक करना चाहता है। इसमें दूसरों को कोई आपत्ति नहीं। फिलहाल तो अपन ऑल्विन डिसूजा और स्मिता मथाई के लिए चिंतित हैं कि सच का सामना के बाद उनकी दुनिया क्या होगी।
पहले एपिसोड में स्मिता मथाई ने सच का सामना किया। यह मध्यवर्गीय शिक्षिका को अपना घर चलाने के लिए डिब्बाबंद भोजन की भी आपूर्ति करनी पड़ती है। पति शराबी जो ठहरा। एपिसोड में पति महोदय के सामने स्मिता मथाई मानती है कि सिर्फ बच्चों के कारण वह पति के साथ है। यहां तक कि वह अपने पति की हत्या करने और उसे धोखा देने तक की सोचती है।
अगला सवाल था- अगर आपके पति को पता नहीं चले तो क्या आप किसी गैर-मर्द के साथ हमबिस्तर होंगी? स्मिता मथाई का जवाब था- नहीं। लेकिन पोलिग्राफ मशीन कहती है कि स्मिता मथाई झूठ बोल रही है। इस वक्त तक पांच लाख रुपये कमा चुकी स्मिता मथाई को खाली हाथ लौटना पड़ा।
पांचवें एपिसोड में ऑल्विन डिसूजा ने अपने सारे पाप कबूल लिये। अपनी मां, बहन, सास और पत्नी के सामने। चोरी-छिपे लेडिज टॉयलेट में घुसने और काम के बहाने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने की बात उसने गर्व के साथ स्वीकारी। उसने माना कि अगर बीबी को पता नहीं चले तो वह किसी अन्य लड़की के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है, लेकिन अगर बीबी धोखा देगी तो बर्दाश्त नहीं। वह पत्नी के साथ अंतरंग पलों में दूसरी के सपने भी देखता है। वह जोरू का गुलाम है। वह सोचता है कि उसकी बीबी कोई और होती।
सामने बैठी पत्नी उर्वशी ने हर सच के 'सच होने पर खुशी से तालियां बजायीं। ऑल्विन डिसूजा ने सारा सच मुसकुराते हुए स्वीकारा। लेकिन उसने यह नहीं माना कि क्रूज शिप में नौकरी के दौरान यात्री के सामान चुराये। पोलिग्राफ मशीन ने इसे डिसूजा का झूठ माना। उस वक्त तक जीते हुए दस लाख गंवाकर वह खाली हाथ लौटा।
स्मिता ने पति और ऑल्विन ने पत्नी के सामने ऐसी बातें मानीं जो शेष जीवन में जहर घोल सकती हैं। लेकिन प्रतियोगी और परिजन, सब सहज प्रसन्न्ता के साथ तालियां बजा रहे थे। दरअसल उन्हें एक करोड़ रुपये दिख रहे थे। सच कबूलने के इतने पैसे मिलें तो सब पाप माफ। लेकिन खाली हाथ लौटे प्रतियोगी के पाप को कौन अपनायेगा? स्मिता ने तो मान लिया कि वह ग्राहकों को बासी खाना परोसती है। कौन लेगा उससे टिफिन? कार्यस्थल पर यात्री का सामान चुराने वाले के लिए भला किस कंपनी में जगह? चोरी का कोई पुराना केस भी खुल जाये तो क्या कहना!
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बहुत ही अच्छा ब्लॉग बनाया है आपने। और ये लेख तो वाकई में लाजवाब है। सच का सामना मैं भी कभी कधार रात को सोते वक्त एक दो सवाल चुटकी लेने के लिए देख लिया करता हूं। पति हॉट सीट पर है और पत्नी सामने बैठी है। एंकर पूछता है कि आप जिस पत्नी के लिए जीने-मरने के लिए कसमें हर रोज उसके सामने ही खाते हैं, क्या आप उससे वाकई प्यार करते हैं? जवाब आता है-नहीं और पत्नी तालियां बजाती है। निजी जीवन में इस बेशर्म सच का हर एक प्रतिभागी को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आपने बिल्कुल ठीक लिखा है कि ऐसे लोगों का सामाजिक प्रतिष्ठापन किस हद तक स्वीकार्य होगा? अफसोस की बात तो यह है कि चिंतित करने वाले इस प्रसंग का हम और कोई हल नहीं निकाल सकते, क्योंकि अपना भाठा खुद बैठवाने के लिए लोग तैयार खड़े हैं। देखिये, किस-किस की दुनिया तबाह होती है, ऐसे सच से...
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