Wednesday, July 27, 2011

फेसबुक पर उपलब्ध है मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा

रांची, झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा सूबे के विकास और आम लोगों की कठिनाइयों तथा समस्याओं को समझने के लिए नई तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने जहां विकास के मुद्दे पर आम लोगों से अपने ई-मेल के माध्यम से सुझाव मांगे हैं, साथ ही वे फेसबुक पर भी उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा फेसबुक के माध्यम से आम लोगों से जुड़ कर राज्य को वास्तविक समस्याओं को समझने और उसके समाधान की दिशा में लगातार प्रयासरत है।
बताया गया है कि मुख्यमंत्री सचिवालय में अभी एक ऐसा सेंटर विकसित किया जा रहा है, जहां राज्य भर से कोई भी व्यक्ति सीधे फोन पर अपनी समस्या या शिकायत दर्ज करा सकेगा और यह रिकार्ड हो जाएगा। बाद में मुख्यमंत्री खुद इन मामलों पर सीधी कार्रवाई करेंगे। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से आमजनों से जुटे हैं। राज्य के जो नेता फेसबुक पर उपलब्ध है, उनमें सबसे अधिक फालोवर बाबूलाल मरांडी के है, जबकि उनके ठीक पीछे भाजपा नेता और पूर्व विधायक सरयू राय हैं। सरयू राय के फेसबुक से 4535 लोग जुड़े हैं। जबकि भाजपा नेता अजय मारू के साथ फेसबुक में 1698 लोग जुड़े हैं। उधर, लगातार दो वर्षाेंं से सुखाड़ झेलने के बाद इस बार कई इलाकों में भारी बारिश से उत्पन्न आपदा से निपटने के लिए प्रयासरत झारखंड के आपदा मंत्री गोपाल कृष्ण उर्फ राजा पीटर अपनी जिम्मेवारी को सही तरीके से निपटाने के लिए नई तकनीकी का भरपुर इस्तेमाल कर रहे हैं।
आपदा मंत्री विभाग से संबंधित आम लोगों की परेशानियों को समझने के लिए फेसबुक पर उपलब्ध है और फेसबुक पर मिलने वाली शिकायतों के निदान के प्रति भी वे त्वरित कार्रवाई करते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आपदा मंत्री सुबह-शाम अपटेड है। राजा पीटर से साइट पर करीब साढ़े तेरह सौ लोग जुड़े हैं। इसके अलावा पत्रकार बलवीर दत्त से 401, विष्णु राजगढ़िया से 1439, प्रदीप बलमुचू से 230 लोग जुड़े हैं। केन्द्री मंत्री सुबोधकांत सहाय और राज्य सभा सांसद परिमल नथवाणी भी फेसबुक पर उपलब्ध हैं।

Monday, July 25, 2011

26 पत्रकारों को मीडिया फेलोशिप

रांची, 25 जुलाई 2011: झारखंड सरकार ने 26 पत्रकारों को 50-50 हजार रुपये की मीडिया फेलोशिप की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आज संवाददाता सम्मेलन में चयनित पत्रकारों की सूची जारी की। जनहित के मुद्दों पर शोध आधारित प्रकाशनों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभाग के द्वारा शोध एवं अन्वेषण की योजना प्रारम्भ की गयी है। इसके लिए विभागीय समिति गठित कर अखबारों में विज्ञापन देकर प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई थी। गठित विभागीय समिति ने कुल 26 आवेदकों का चयन फेलोशिप प्रदान करने हेतु किया है। प्रत्येक फेलोशिप हेतु पचास हजार रू॰ की राषि प्रदान की जानी है।

चयन समिति में डा॰ रमेश शरण (स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग, रांची विश्वविद्यालय), श्री चंदन मिश्र (ब्यूरो प्रमुख, दैनिक हिन्दुस्तान), डा॰ विष्णु राजगढि़या (ब्यूरो चीफ, नई दुनिया), श्री विजय पाठक (स्थानीय सम्पादक, प्रभात खबर), श्री सुमन श्रीवास्तव (ब्यूरो प्रमुख, दी टेलीग्राफ), श्री अरविन्द मनोज कुमार सिंह (सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इग्नू), श्री राजीव लोचन बख्शी (संयुक्त सचिव, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग) तथा श्रीमती स्नेहलता एक्का (उप निदेशक, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग) शामिल है।

मीडिया फेलोशिप हेतु चयनित पत्रकार एवं उनका शोध-विषय-
1. अनुपमा कुमारी- पंचायती राज और महिला सशक्तिकरण
2. आलोका- झारखण्ड में मनरेगा का महत्व
3. अनंत - हजारीबाग में लतिका का सामाजिक संघर्ष
4. योगेश्वर राम - पंचायत व्यवस्था में ग्राम सभा की भूमिका
5. आशिषी कुमार सिन्हा - बिरहोर समुदाय की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली
6. ओमप्रकाश पाठक - ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य अधिसंरचना
7. रूपक कुमार - झारखंड में जैव-विविधता और जीविकापार्जन
8. सुरेन्द्र लाल सोरेन - कचड़ा चुननेवाले बच्चों के बेहत्तर भविष्य की संभावन
9. सर्वजीत - झारखंड में सूचना का अधिकार
10. प्रशांत जयवर्द्धन - वन प्रबंधन और पारंपरिक नियम
11. नदीम अख्तर - झारखण्ड राज्य में कृषि में तकनीक का इस्तेमाल
12. महेश्वर सिंह छोटु - आदिम जनजाति पहाडि़या कल आज और काल
13. नौशाद आलम - झारखण्ड में समुदायिक वन प्रबंधन की प्रासंगिकता
14. संजय श्रीवास्तव - झारखण्ड के विकास में संसदीय राजनीति का योगदान
15. शैली खत्री - राँची में बच्चों के विकास की स्थिति ।
16. प्रशांत झा - तसर सिल्क उद्योग और इससे जुड़े लोगों की स्थिति
17. कुमार संजय - बच्चों के भोजन और पोषण का अधिकार
18. विकास कुमार सिन्हा - झारखण्ड के पर्यटन स्थलों की स्थिति व विकास।
19. तनवी झा - झारखंड में समुदाय आधरित स्वास्थ्य सेवा
20. अमित कुमार झा - नेशनल गेम्स आयोजन से झारखण्ड में खेल प्रतिभाओं का उदय।
21. चन्दो श्री ठाकुर - राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का सामुदायिक परिदृश्य
22. संजय कृष्ण - ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महिला पलायन का असर
23. सलाउद्दीन- हजारीबाग में एड्स का विस्तार एवं नियंत्रण
24. शैलेश कुमार सिंह - स्वर्णिम झारखंड में नक्सलवाद का अंत
25. पंकज त्रिपाठी - राज्य में बिजली की स्थिति, समस्या और समाधान।
26. शक्तिधर पांडेय - लोक स्वास्थ्य और आंगनबाड़ी सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में समुदाय की भूमिका।

Friday, July 15, 2011

झारखंड मीडिया फेलोशिप

झारखंड सरकार ने 20 पत्रकारों को मीडिया फेलोशिप के तहत 50-50 हजार की राशि देने की घोषणा की है। यह खासकर युवा एवं गंभीर मीडियाकर्मियों एवं शोधकर्ताओं के लिए एक अनूठा अवसर है। आवेदन की अंतिम तिथि 25 मई 2011 है। पूरी जानकारी http://www.jharkhand.gov.in में मिलेगी। इसमें विवरण और फार्म मिलेगा। http://210.220.20.88 पर भी देखें। 0651-2282522 पर पूछताछ कर सकते हैं। वैसे आपकी मदद के लिए विज्ञापन, विवरण और फार्म यहां प्रस्तुत है।
--------
झारखण्ड सरकार सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग ‘‘झारखण्ड मीडिया फेलोशिप 2011-12’’ वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए झारखण्ड मीडिया फेलोशिप के लिए प्रविष्टियाँ आगामी दिनांक 25 मई 2011 के अपराह्न 5ः00 बजे तक विहित प्रपत्र में आमंत्रित हैं। आवेदन का प्रारूप एवं तत्संबंधि विवरणी विभागीय वेबसाईट http://www.jharkhand.gov.in तथा http://210.220.20.88 पर उपलब्ध है। आवेदन हाथों-हाथ अथवा स्पीड पोस्ट/निबंधित डाक के द्वारा प्राप्त किए जायेंगे। योजना में राज्य सरकार का निर्णय अंतिम होगा।
----------------------------------------
DETAILS OF THE FELLOSHIP Jharkhand Media Fellowships IPRD,
Government of Jharkhand Suchana Bhawan, Meur's Road, Ranchi

--INVITE- IPRD (Information & Public Relations Department) Jharkhand, Ranchi invites applications for Jharkhand Media Fellowships 2011 from Journalists/Researchers working in Jharkhand both Print and Electronic medium. The fellowship would allow them to take time off from their routine beats to research/report/study/cover various development related issues which are not highlighted properly for a variety of reasons. The fellowships aim for the purpose of media sensitization to bring development concerns to the realm of public consciousness in order to facilitate a more informed development policy discourse. The fellows will have opportunities to pursue in-depth work on the issue selected by them.

THEME The topic chosen should be related to various Development related issues of Jharkhand including distinct culture, social welfare, tribal welfare, issues related to women and children, rural/urban development, industry, employment opportunities, sustainable development in Jharkhand etc. The Fellowship covers a diverse range of issues in the social development from environment, livelihoods, public health, women and child Welfare, social Welfare, gender issues, human trafficking, Panchayati Raj Institutions, trade and development, traditional local self development, Communication scenario, indigenous Tribal languages, Traditional medicine and its practice, Customary and Traditional laws and their impact on community forest management (CFM) and joint forest management (JFM), Watershed management, Women, livelihood and governance, Conservation as a livelihood, Agricultural from non-cash to cash crops, Livelihood strategies linked to biodiversity of Jharkhand etc. It may cover a wide range of issues of importance to the common people of Jharkhand, their battle for a better life and development related issues including community health, nutrition, education, social protection, livelihood security, local governance, peace and justice, gender equity, legal rights including right to food, right to information, right to education, consumer rights, forest rights etc. We welcome proposals that uncover and illustrate topical issues and contemporary debates in any of these fields. The final output must combine research and reportage with background, perspective, analysis, and when appropriate, views and information from experts.

DURATION • Three Months – (July to September 2011) OUTPUT The fellowship must result in any one of the following outputs: • For Print Journalists- A series of minimum five articles/special reports or news stories (preferably with photographic documentation) on the proposed subject, totaling minimum 4000 words. • For Electronic Journalists- One documentary film (maximum 30 minutes duration) or a series of shots (of broadcast quality, submitted in avi or mpeg formats) on the proposed subject, for upload in the Documentary section. If the documentary is in a regional language of Jharkhand it must be subtitled in Hindi or English. Appearance on any channel will also be appreciated. • For Radio Journalists- A series of minimum ten audio documentaries – each maximum 20 minutes in duration to be featured in the Audio section. If the documentaries are in a regional language of Jharkhand they must be subtitled in Hindi or English. Appearance on any channel will also be appreciated. • All outputs are required to reach I&PRD, Jharkhand by 30-09-2011. • All content researched and uploaded on www.jharkhand.gov.in be submitted for publication/dissemination elsewhere, provided due credit is given to I&PRD Govt. of Jharkhand as the supporting institution. • Films and audio stories produced as part of the fellowship must likewise carry the required credits to IPRD, Jharkhand.

GRANT • The fellowships carry a grant amount of Rs 50,000 (subject to TDS as applicable). 50% of this amount will be disbursed on selection, to fund travel and research expenses. • The balance will be released on successful completion of the project. • IPRD, Jharkhand reserves the right to ask for revisions in articles/ documentaries submitted if required. • Grants will be withdrawn if the fellow fails to complete and submit her/ his project on deadline or if the quality of the work submitted is not acceptable.

NUMBER OF FELLOWSHIPS- • Total 20 fellowships would be awarded under Jharkhand Media Fellowship 2011. • It may include 10 Fellowships for Print Journalists and 10 for Electronic. Out of 10 fellowships for Electronic Journalists, 3 may be awarded to Radio Journalists. • The total number of fellowships and the plan of allocation for Print/Electronic Journalists may increased or reduced as per the decision of the selection committee.

SELECTION PROCEDURE • Jharkhand Media Fellowship Committee will firstly shortlist the received application and will finally recommend and select the fellows. • The Parameters for assessing the candidates includes originality of ideas, group of issues covered, relevance of the issue covered range of issues covered and initiative.

APPLICATION PROCEDURE • Applications for the Fellowship can be submitted in English or Hindi and must be in prescribed application format, clearly stating the subject, perspective on this subject and expected output in terms of number of articles etc. • Clippings of Three articles (print journalist) must be sent along with the application. • One sample of broadcast/ telecast work on CD by applicants from the electronic media. If any of these are in regional languages, they must be accompanied by a summary of their contents in English/Hindi. • Television Journalists may submit all stories on one DVD. • Radio Journalists may submit all stories on one cassette tape or CD.

ENDORSEMENT/RECOMMENDATION • Working Journalists submitting applications must enclose a letter from their editor stating that they endorse the application and will allow the fellow time off for the research if selected as well as publish the work done by the candidate. • Freelance Journalists submitting applications must enclose a letter from any Editor/Bureau Chief stating that they recommend the candidate for the proposed subject and will publish the work done by the candidate. • Prescribed format for endorsement/recommendation is available with the application format.

CONDITIONS: • The verdict of the Information & Public Relations Department, Government of Jharkhand will be final. • All payments will be subject to TDS rules. TIMESCALES 1 Publication of Advertisement 06-05-2011 2 Last date for application 25-05-2011 3 Announcement of Fellowship 20-06-2011 4 Commencement of work by the Fellows 01-07-2011 5 Completion of the work by the Fellows 30-09-2011

FOR ANY CLEARIFICATION Mrs. Snehlata Ekka, Deputy Director, IPRD-cum-Co-coordinator, Jharkhand Media Fellowship at 0651-2282522 ADDRESS TO SEND APPLICATIONS Co-Ordinator, IPRD Media Fellowships, Information & Public Relations Department, Suchana Bhawan, Meur's Road, Ranchi (Jharkhand) 834008 Phone- 0651- 2285037, Fax – 0651-2283675 E-Mail- iprdjharkhand@gmail.com ------------------------------------------

Application Format for Jharkhand Media Fellowship 2011
(To be filled in Hindi or English)
Paste your passport photo
Name - Fathers Name - Age - Male/Female -
Address - Phone/Mobile - E-mail -
Educational Qualification – (Mention only Higher Degrees)
Type of media-
a) Print b) Audio-Visual c) Radio
Present Position/Designation – Organization -
Current Job and Responsibilities Experience in Media and Research
Brief Detail of Publications/Productions/Works
Have you ever been involved with any voluntary/community development project?
If yes, please describe briefly.
Please list and briefly describe your coverage of development related issues. Proposed Topic/Title of the fellowship Objectives – Summery - Work plan/Methodology- Geographical Area of work Travel Plan Experience/Knowledge in the proposed topic I certify that the information given in this application is complete and accurate to the best of my knowledge. Signature --------------------------------------------------------
Format for Endorsement (For Working Journalists) (to be get printed or written on the Letter head of the Editor/Bureau Chief) This is to certify that Mr./Ms./Mrs. ……………………… is working in this organization as ………………... Based on my believe and knowledge about his/her journalistic abilities, capacity for academic work and professional character, I can recommend the Jharkhand Media Fellowship 2011 for him/her on the topic ………………………………. It is further stated that if he/she is being selected for the fellowship, I would allow the fellow time off for the research as well as like to disseminate his/her work properly through our publication/channel. Signature Name Designation --------------------------------------------- Format for Recommendation (For Freelance Journalists/Researchers) (to be get printed or written on the Letter head of the Editor/Bureau Chief) This is to certify that I am known to the candidate Mr./Ms./Mrs. ……………………… for more than two years. Based on my believe and knowledge about his/her journalistic abilities, capacity for academic work and professional character, I can recommend the Jharkhand Media Fellowship 2011 for him/her on the topic ………………………………. It is further stated that if he/she is being selected for the fellowship, I would like to disseminate his/her work properly through our publication/channel. Signature Name Designation

दस पत्रकारों/छायाकारों के लिए एक-एक लाख का पुरस्कार

झारखंड सरकार ने दस पत्रकारों/छायाकारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देने की योजना बनायी है। आवेदन 25 मई तक जमा होंगे। दो पुरस्कार राज्य स्तरीय विकास के लिए और दो पुरस्कार जिला स्तरीय पुरस्कार के लिए दिये जायेंगे। जनजातीय भाषाआ में विकास संबंधी दो पत्रकारों, इलेक्ट्रानिक के दो पत्रकारों और दो छायाकारों को पुरस्कार मिलेंगे। आवेदन के साथ संबंधित संपादक/ब्यूरों चीफ की अनुशंसा संलग्न करना आवश्यक है। विवरण इस प्रकार है- सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, झारखण्ड विकासात्मक आलेख हेतु पुरस्कार योजना उत्कृष्ट विकासात्मक पत्रकारिता को प्रोत्साहित किए जाने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय पुरस्कारों के लिए 25 मई, 2011 तक विहित प्रपत्र में प्रविष्टियाँ आमंत्रित है। उत्कृष्ट विकासोन्मुख पत्रकारिता के लिए झारखण्ड के पत्रकारों को देय पुरस्कार के लिए सक्रिय पत्रकारिता का कम-से-कम पांच वर्षो का अनुभव होना चाहिए। प्रविष्टियों के साथ राज्य के विकास से संबंधित अप्रैल - 2010 से लेकर मार्च - 2011 तक प्रकाशित आलेख/छायाप्रति/राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर प्रसारित विजुअल्स क्लीपिंग, की सी॰ डी॰ जिनका सत्यापन संबंधित संपादक/ब्यूरोचीफ के द्वारा किया गया हो, संलग्न किया जाना है। आवेदन का प्रारूप विभागीय वेबसाईट http:// www.jharkhand.gov.in पर उपलब्ध है। योजना में राज्य सरकार का निर्णय अंतिम होगा। ................................................... योजना का विवरण झारखण्ड सरकार, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग वित्तीय वर्ष 2011-12 की विकास से संबंधित आलेख के लिए पुरस्कार की योजना:- पात्रता, शत्र्ते एवं विवरण - इस योजना के अंतर्गत के अंतर्गत झारखण्ड राज्य के विकास से संबंधित उत्कृष्ट प्रविष्टियों को राज्य सरकार के द्वारा निम्न प्रकार से पुरस्कृत किये जाने की योजना हैः- (1) झारखण्ड राज्य से संबंधित राज्य स्तरीय विकास से संबंधित हिन्दी/अंग्रेजी/उर्दू/स्थानीय के भाषाओं के आलेखों के लिए एक-एक लाख के दो पुरस्कार। (2) झारखण्ड राज्य के क्षेत्र विशेष/विभिन्न जिलों से संबंधित विकास से संबंधित हिन्दी/अंग्रेजी/उर्दू/ स्थानीय भाषाओं के आलेख के लिए एक-एक लाख के दो पुरस्कार। (3) झारखण्ड राज्य की जनजातीय भाषाओं में विकास से संबंधित आलेखों के लिए एक-एक लाख के दो पुरस्कार। (4) झारखण्ड राज्य के विकास से संबंधित से श्रव्य-दृश्य समाचारों के राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय प्रसारण हेतु एक-एक लाख के दो पुरस्कार। (6) झारखण्ड के विकास संबंधी उत्कृष्ट छायाचित्रों के लिए एक-एक लाख के दो पुरस्कार। -उक्त पुरस्कारों के लिए प्रवृष्टियों 25 मई, 2011, शाम 5.00 बजे तक हाथोंहाथ या स्पीडपोस्ट या निबंधित डाक के द्वारा स्वीकार की जा सकती है। -निर्धारित प्रपत्र में आवेदन के साथ संबंधित संपादक/ब्यूरों चीफ की अनुशंसा संलग्न करना आवश्यक है। -प्रत्येक प्रकाशन/समाचार पत्र/संचार माध्यम से पुरस्कार हेतु निर्धारित हरेक खण्ड हेतु एक मात्र प्रवृष्टि की अनुशंसा की जा सकेगी। -प्राप्त प्रविष्टियों की शाॅर्टलिस्ंिटग एवं चयन गठित विभागीय समिति के द्वारा कर पुरस्कार हेतु सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, झारखण्ड की जाएगी। -प्राप्त अनुशंसा के आधार पर विभाग के द्वारा चयन एवं पुरस्कार की राषि से संबंधित अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अंतिम रूप से पुरस्कार की राशि एवं चयनित प्रवृष्टियों की संख्या में विभाग के द्वारा कमी-वृद्धि की जा सकेगी। -झारखण्ड सरकार, पात्रता की शत्र्तो में आवश्यकतानुसार संशोधन कर सकेगी। विस्तृत जानकारी हेतु प्रत्येक कार्यदिवस में श्रीमती स्नेहलता एक्का, संयोजक-सह-उप निदेशक, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, झाखण्ड, राँची (दूरभाष 0651-2281522) से सम्पर्क किया जा सकता हैं। .............................................. आवेदन प्रपत्र झारखण्ड सरकार सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग राज्य स्तरीय:- जिला स्तरीय, जिला का नाम:- जो लागू हो उस पर बाॅक्स में निशान लगा दें। विकास से संबंधित आलेख के लिए पुरस्कार योजना 2010-2011 आवेदन /प्रविष्टि का प्रारूप (1) पुरस्कार जिसके लिये आवेदन प्रविष्टि भेजी जा रही है। (प्रविष्टि का विवरण/मूल/हस्ताक्षरित प्रति संलग्न करें) (2) नाम (3) पिता/पति का नाम (4) जन्म तिथि (5) जन्म स्थान (6) शैक्षणिक योग्यता (7) संस्थान जहाँ कार्यरत हैं (8) सम्पर्क पता (9) दूरभाषः- कार्यालय .... निवास ....मोबाईल.. (10) पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुभव (11) पत्रकारिता के क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियाँ:- (12) शोध/पुस्तक लेखन आदि कार्य:- (13) प्राप्त सम्मान/ पुरस्कारों का विवरण (14) पोस्टकार्ड साईज के दो नवीनतम फोटो हस्ताक्षर:- नाम:- संबंधित संस्थान, जहाँ कार्यरत हों/जहाँ प्रवृष्टि से संबंधित आलेख आदि का प्रकाशित हुआ हो के, संपादक/ब्यूरो चीफ की अनुशंसा- प्रमाणित किया जाता है कि श्री/श्रीमती/सुश्री.............(संस्थान का नाम).............. में विगत (अवधि).............. से कार्यरत हैं। श्री/श्रीमती/सुश्री ............ द्वारा विकास से संबंधित पुरस्कार योजना से संबंधित प्रविष्टि दिनांक ..... के .............. अंक में ......... पृष्ठ पर प्रकाशित/प्रसारित हुई है। हस्ताक्षर:- नाम/पदनाम:- संस्थान का नाम एवं पता:-

Sunday, September 26, 2010

लाल बत्ती छोेड़ने की अपील पर 28 को सूचना आयोग में होगी चर्चा


ONLINE PETITION

डाॅ. विष्णु राजगढ़िया
सूचना कानून ने भारतीय नागरिकों को एक बड़ी ताकत दी है। लेकिन कुछ सूचना आयुक्तों का नौकरशाही रवैया काफी मुश्किलें पैदा कर रहा है। दरअसल इन्हें लाल बत्ती लगाने और बाडी गार्ड नेकर चलने की हैसियत मिली है। इसके कारण ये खुद को नागरिकों से उपर समझते हैं और इनकेे तेवर भी उन्हीं नौकरशाहों जैसे हो जाते हैं जिनके खिलाफ यह कानून है। यही कारण है कि अब देश के सूचनाधिकार कार्यकत्र्ताओं ने सूचना आयुक्तों से अपने वाहनों पर लाल बत्ती का उपयोग बंद करने और अंगरक्षक का दिखावा नहीं करने की मांग शुरू कर दी है। इस संबंध में एक आनलाइन पिटिशन पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है।
दिलचस्प यह कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने भी इस अभियान के प्रति सकारात्मक संकेत दिये हैं। आनलाइन पिटिशन के जवाब में उन्होंने 28 सितंबर को केंद्रीय सूचना आयोग की बैठक में यह मामला प्रस्तुत करने और इस पर समुचित विचार करने की घोषणा की है। झारखंड आरटीआइ फोरम के सचिव डाॅ विष्णु राजगढ़िया ने 25 सितंबर की देर रात श्री हबीबुल्लाह के पास ई-मेल के माध्यम से आग्रह किया था कि सूचना आयुक्तांे को लाल बत्ती और अंगरक्षक का मोह छोड़कर आम जनता के करीब जाना चाहिए। इसी ई-मेल में सूचना आयुक्तांे से संपत्ति की घोषणा करने की भी अपील की गयी थी। इसके जवाब में श्री हबीबुल्लाह ने 26 सितंबर की सुबह भेजे अपने ई-मेल मंे बताया है कि 28 सितंबर की बैठक में इसे पेश किया जायेगा। उन्होंने यह भी लिखा है कि यह उनकी आखिरी बैठक होगी। उन्होंने बेहतर भविष्य की शुभकामना भी दी है। इससे उम्मीद की जा सकती है कि वह सूचना आयोगों को ज्यादा कारगर और जनोन्मुखी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठायेंगे।
श्री वजाहत ने लिखा है-
This is being placed before Central ICs in their next weekly meeting due on 28.9.'10, which is also my last.
All the best for the future!
Wajahat

Saturday, December 19, 2009


रणेन्द्र का उपन्यास- ग्लोबल गांव के देवता
विष्णु राजगढ़िया
भारतीय ज्ञानपीठ ने इसी महीने रणेंद्र का उपन्यास प्रकाशित किया है- ग्लोबल गांव के देवता। सिंगूर, लालगढ़, सलवा जुड़ुम और आपरेशन ग्रीन हंट के इस दौर में यह उपन्यास आधुनिक भारत में जनजातियों के लिए उत्पन्न अस्तित्व-मात्र के संकट के साथ ही जनप्रतिरोध की विविध धाराओं के उदय एवं उनकी जटिलताओं की सांकेतिक रूपों में महत्वपूर्ण प्रस्तुति करता है। ग्लोबल देवताओं को खनिज की भूख है और उनकी भूख मिटाने के लिए जनजातियों को जमीन से बेदखल करना जरूरी है। भारत सरकार को भी जनजातियों से ज्यादा जरूरी भेड़िये को बचाना है। आदिवासियों के विस्थापन और इसके खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध से लेकर हिंसक प्रतिरोध तक की स्थितियों को सामने लाने के लिए रणेन्द्र ने असुर जनजाति को केंद्र में रखा है। आग और धातु की खोज करने वाली] धातु को पिघलाकर उसे आकार देने वाली कारीगर असुर जाति को मानव सभ्यता के विकासक्रम में हाशिये पर धकेल दिये जाने और अब अंततः पूरी तरह विस्थापित करके अस्तित्व ही मिटा डालने की साजिश इस उपन्यास में सामने आती है।
इस उपन्यास के लिए भाई रणेन्द्र को बधाई। आप भी उन्हें 094313-91171 नंबर पर बधाई दे सकते हैं।

Thursday, November 19, 2009

Please Sign and Circulate the Online Petition against Illegal Amendment in RTI Fee Rule in Bihar

http://www.petitiononline.com/rtibihar/petition.html

Monday, November 16, 2009

Save RTI campaign
Please sign two Online Petition to Save RTI

  • Petition for Transparent Selection of CIC
http://www.petitiononline.com/aishu/petition.html

  • Petiotion against Amendment in RTI Act

http://www.petitiononline.com/urvashi/petition.html

Wednesday, October 21, 2009

A milestone : Nandini Sahai in Seminar on RTI

July 2, 2006, Hotel Capitol Hill, Ranchi
on dias- Mr. AA Khan, VC, Ranchi University, Mr. T. Nandkumar, Senior IAS, Mr. Raghuvar Das, Minister for Finance and Urban Development, Mr. Mukhtiyar Singh, Senior IAS
--------------------------------
The Seminar was organised by Vishnu Rajgadia, on behalf of Prabhat Khabar
Nandini Sahai joins as Director & Chief Executive of The International Centre, Goa

Nandini Sahai joined as the Director & Chief Executive of The International Centre, Goa (ICG) last week. She is the fourth, as well as the first woman Director of the International Centre, Goa. Her vision is to make ICG into a completely holistic place of international standards, where ideational as well as other activities take place in a world class ambience.

Nandini Sahai has been a distinguished development journalist with more than 30 years of experience having started her career with the Press Institute of India. For her, journalism was not a profession but a passion and a powerful tool for social development.
She founded MICCI (Media Information and Communication Centre of India) with the support of some like-minded academicians, bureaucrats, media and communication experts, and was also the Country Manager of AMIC-India, a subsidiary of AMIC (Asian Media and Information Centre), a Singapore-based International NGO working in media related issues.

She is one of the leading Right to Information (RTI) advocates having organized a number of public hearings, seminars and workshops for the RTI movement in India & Sri Lanka and has also worked closely with Magsaysay Award winner Aruna Roy. She was also the member of the Select Committee in formulating the RTI Act for the Delhi Government. Her two advocacy workshops, one on 'Contempt of Court' where Truth was made as defence and another on the 'Broadcasting Bill' where the Government stalled the Bill and formed the NBA (National Broadcasting Association) to formulate the Content Code, have been path breaking.
She has also worked closely on a number of issues relating to Media, Social Development, Disaster Management, Rural Journalism and the Judiciary, with international organisations such as UNESCO, Friedrich Ebert Stiftung (FES) - India, (AIBD) (Asia-Pacific Institute for Broadcasting Development, Malaysia), the International Rehabilitation Council for Torture Victims (IRCT) on issues of Torture and Human Rights. She has organised several seminars with senior media persons from India and South Asia on issues of media and public interest in South Asia. She is widely travelled and has also addressed a seminar in Stanford University, USA, on the benefits of Community Radio.

Her family consists of her two children who are working in Delhi. In her free time she likes to read and listen to music.

Thanks and regards,
Arjun Halarnkar
Programme Manager
The International Centre, Goa
Goa University Road, Dona Paula, Goa 403004
INDIA Tel: +91 832 2452805-10 Fax: +91 832 2452812 Cell: +91 9765404391
www.goadialogues.com

Monday, October 5, 2009

INVITATION
You are cordially invited to attend Regional Seminar on
Converting Electoral Democracy into Participatory Democracy: Role of RTI
Organised by
Media Information and Communication Centre of India (MICCI), Friedrich Ebert Stiftung (FES),
and Jharkhand RTI Forum
10-12 October 2009, at 9.30 am, Hotel Chinar, Main Road, Ranchi
50 Citizens of Jharkhand will also be Honoured with RTI Citizen Award during the Seminar

RSVP
Dr. Vishnu Rajgadia, State Chapter Head, MICCI
Balram, Presidnt, Jharkhand RTI Forum

Wednesday, September 30, 2009

West Bengal authorities put media's credibility at stake
http://www.citizen-news.org/
A growing outrage is palpable from the civil society against the abuse of media's credibility to arrest Chhatradhar Mahto, the leader of Lalgarh movement in West Bengal, India.The West Bengal police and authorities disguised as a fake media representative and with the assistance of a local media personnel, managed to reach Chhatradhar Mahto. Mahto was arrested then.

Dr Vishnu Rajgadia, Secretary of Jharkhand RTI Forum and a noted social activist, took the initiative with support from National Alliance of People's Movements (NAPM) leaders to begin a signature petition campaign demanding the Prime Minister of India to intervene and stop this trend which is jeopardising the credibility of media in India. Citizens have mobilized individuals to sign a petition against the misuse of media's credibility in West Bengal to arrest Mahto.

The signature petition got hundreds of signatures from citizens in a short span of time (signature petition is online here). Prominent among those include the Magsaysay Awardee (2002) Dr Sandeep Pandey, noted Narmada Bachao Andolan (NBA) activist and adviser to Supreme Court Commissioner on Right to Food Arundhati Dhuru, filmmaker Anand Patwardhan,

"The West Bangal police has misused the credibility of media to arrest a leader of Lalgarh movement, Chhatradhar Mahto on 26 September 2009. This is very objectionable as it is a misuse of the credibility and good name of the media. This is also an encroachment in the autonomy of Media" says Dr Vishnu Rajgadia.

"This will create various problems for the journalists including the threat of their life during reporting in any so-called disturbed area. Therefore, we request you all to consider signing the online petition to protest the misuse by West Bengal police and to support a law to prevent such possibilities" further adds Dr Rajgadia, who began the petition on behalf of several human rights organizations.

It poses serious questions on the way police is functioning in a democratic country. Draconian laws like the Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) and other such Acts which are rule of the law in other states like Chhattisgarh, have only caused seemingly irreparable damage to social democratic fabric. When media used disguise to conduct sting operations, the authorities took them to task and hardly any concrete action has come out of the evidence collected thereby in public interest. However authorities shamelessly have used the disguise of media and put media's credibility at risk in West Bengal.

"In a democratic country like India, each and every institution has its own duties as well as each of them have been provided certain space, authority and liberty to execute their responsibility. No institution has any right to encroach the autonomy of other institution" says the petition.
"The media persons are visiting in various remote areas including "Disturbed" fields and they also have to meet with various people including any accused person to collect news and to expose various socio-political-economic conflicts of the society. The media has a credit to keep its sources secret and to not harm somebody during their news gathering process" further states the petition.
"Therefore, the act of West Bengal Government through its CID and Police is totally unethical and unjust. It has created a big threat to the media persons especially for them who are visiting to various remote areas of so-called insurgency. Now, every body will suspect the identity of even the genuine media persons putting them at grave risk" says the petition.
The petition also demands a law in place to prevent any such abuse of media in future. Hope effective measures to safeguard media from any such misuse in future get in place as soon as possible.
[To sign the petition, click here or go to: http://www.petitiononline.com/wbmisuse/petition.html

Sunday, September 27, 2009

Misuse of Media's Credibility by Bengal Police

Dear friends,
The West Bangal police has miused the credibility of media to arrest a leader of Lalgarh movement, Chhatradhar Mahto on 26-09-2009. This is very objectionable as it is a misuse of the credibility and good name of the media. This is also an encroachment in the autonomy of Media. This will create various problems for the journalists including the threat of their life during reporting in any so-called disturbed area.
Therefore, we request you all to consider signing the online petition to protest the misuse by West Bengal police and to support a law to prevent such possibilities.

To sign-the-signature petition campaign, please click here -
http://www.petitiononline.com/wbmisuse/petition.html

Sincerely,
Dr. Vishnu Rajgadia (Secretary)
Balram (President)
Jharkhand RTI Forum

Full story in HINDI
Full Story in English

Wednesday, September 16, 2009

Trust in News Media Falls
By RICHARD PÉREZ-PEÑA
Trust in news media has reached a new low, with record numbers of Americans saying reporting is inaccurate, biased and shaped by special interests. In this survey, 1,506 people were interviewed in July by the Pew Research Center.
On crucial measures of credibility, faith in news media eroded from the 1980s to the ’90s, then held fairly steady for several years, according to Pew surveys that have asked some of the same questions for more than two decades. But in the two years since the last survey, those views became markedly more negative.
In this year’s survey, 63 percent of respondents said news articles were often inaccurate and only 29 percent said the media generally “get the facts straight” — the worst marks Pew has recorded — compared with 53 percent and 39 percent in 2007.
Seventy-four percent said news organizations favored one side or another in reporting on political and social issues, and the same percentage said the media were often influenced by powerful interests. Those, too, are the worst marks recorded in Pew surveys.
Negative opinions grew since 2007 among both major parties, but significantly more so among Democrats. The percentage of Democrats calling the media inaccurate rose to 59, from 43; the percentage who said the media took sides rose to 67, from 54. Read More

Sunday, September 13, 2009

पचास नागरिकों को मिलेगा आरटीआइ सिटिजन अवार्ड
सूचना कानून की चैथी वर्षगांठ पर झारखंड के पचास नागरिकों को आरटीआइ सिटिजन अवार्ड दिया जायेगा। झारखंड आरटीआइ फोरम और सिटिजन क्लब ने यह आयोजन किया है। इसके लिए नामांकन 15 सितंबर तक आमंत्रित हैं। झारखंड का कोई नागरिक स्वयं अपने लिए अथवा किसी अन्य के लिए नामांकन भेज सकता है। इसके लिए सूचना कानून के तहत किये गये कार्यों, सफलता के विवरण एवं संबंधित दस्तावेजों की फोटो कापी के साथ अपना पूरा पता, फोन नंबर, ईमेल पता इत्यादि भेजना होगा। यह घोषणा झारखंड आरटीआइ फोरम के अध्यक्ष बलराम एवं सचिव विष्णु राजगढ़िया ने की है।
नामांकन भेजने का पता है-
झारखंड आरटीआइ फोरम, 4-सी, घराना पैलेस, संध्या टावर, पुरलिया रोड, रांची।विशेष जानकारी आरएन सिंह से 9430246440 नंबर पर मिलेगी।
rtistory.blogspot.com तथा rti.net.in पर भी जानकारी मिलेगी।ई-मेल पता है- rtistory@gmail.com
सच की ताकत
हम सच बोलते हैं तो हमें लगता है कि हमारी शक्ति का असर होना चाहिए.
लेकिन जब हम अधूरे सच या झूठ बोलनेवालों की शक्ति का असर ज्यादा होता हुआ पाते हैं तो माथा ठनकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है.
पता चलता है कि सच बोलने से ही काम नहीं चलेगा.
अगर हम चाहते हैं कि सच को ज्यादा लोग सच समझें भी और सच को समझकर उसके अनुसार आचरण भी करें, तो सच के व्यापक प्रचार के साधनों का इस्तेमाल भी करना पड़ेगा.......
(लेकिन) पता चलता है कि प्रचार के साधन उनके पास ज्यादा हैं, जिन्हें आधे सच का प्रचार करना है....
--रघुवीर सहाय
---------------------------------------------------------------------
’’सत्य को जानो, वह तुम्हें मुक्त करेगा’’ - इस पुरानी अमरीकी कहावत को दुहराते हुए हमारा प्रेस कहता है कि वह सच्चाई और सिर्फ सच्चाई से प्रतिबद्ध है.
......वह सत्य क्या है? इस सत्य का कोई मकसद- उसकी कोई दिशा होती है या नहीं? उसका समाज के विकास में और इस विकास के रथ को आगे बढ़ानेवाली सामाजिक शक्तियों के उत्थान में कोई योगदान है या नहीं?
सत्य के दायरे में सामाजिक आलोचना की कोई जगह है या नहीं? और अगर इसके लिए जगह है तो आदमी को विचारवान बनाने में उसकी कोई भूमिका होगी या नहीं???
--महेश्वर
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
भारतीय
-रघुवीर सहाय


हम भारतीय हैं
धन्यवाद, धन्यवाद,
क्षमा कीजियेगा,
नहीं कहते हैं.

हम सिर्फ देखते हैं
अपनी आंखों से
और ले लेते हैं पानी भरा गिलास
फिर से उधर एक बार
देखकर.

स्मिता और डिसूजा के सच की दुनिया
विष्णु राजगढ़िया

कोई खुद अपना सच सार्वजनिक करना चाहता है। इसमें दूसरों को कोई आपत्ति नहीं। फिलहाल तो अपन ऑल्विन डिसूजा और स्मिता मथाई के लिए चिंतित हैं कि सच का सामना के बाद उनकी दुनिया क्या होगी।
पहले एपिसोड में स्मिता मथाई ने सच का सामना किया। यह मध्यवर्गीय शिक्षिका को अपना घर चलाने के लिए डिब्बाबंद भोजन की भी आपूर्ति करनी पड़ती है। पति शराबी जो ठहरा। एपिसोड में पति महोदय के सामने स्मिता मथाई मानती है कि सिर्फ बच्चों के कारण वह पति के साथ है। यहां तक कि वह अपने पति की हत्या करने और उसे धोखा देने तक की सोचती है।
अगला सवाल था- अगर आपके पति को पता नहीं चले तो क्या आप किसी गैर-मर्द के साथ हमबिस्तर होंगी? स्मिता मथाई का जवाब था- नहीं। लेकिन पोलिग्राफ मशीन कहती है कि स्मिता मथाई झूठ बोल रही है। इस वक्त तक पांच लाख रुपये कमा चुकी स्मिता मथाई को खाली हाथ लौटना पड़ा।
पांचवें एपिसोड में ऑल्विन डिसूजा ने अपने सारे पाप कबूल लिये। अपनी मां, बहन, सास और पत्नी के सामने। चोरी-छिपे लेडिज टॉयलेट में घुसने और काम के बहाने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने की बात उसने गर्व के साथ स्वीकारी। उसने माना कि अगर बीबी को पता नहीं चले तो वह किसी अन्य लड़की के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है, लेकिन अगर बीबी धोखा देगी तो बर्दाश्त नहीं। वह पत्नी के साथ अंतरंग पलों में दूसरी के सपने भी देखता है। वह जोरू का गुलाम है। वह सोचता है कि उसकी बीबी कोई और होती।
सामने बैठी पत्नी उर्वशी ने हर सच के 'सच होने पर खुशी से तालियां बजायीं। ऑल्विन डिसूजा ने सारा सच मुसकुराते हुए स्वीकारा। लेकिन उसने यह नहीं माना कि क्रूज शिप में नौकरी के दौरान यात्री के सामान चुराये। पोलिग्राफ मशीन ने इसे डिसूजा का झूठ माना। उस वक्त तक जीते हुए दस लाख गंवाकर वह खाली हाथ लौटा।
स्मिता ने पति और ऑल्विन ने पत्नी के सामने ऐसी बातें मानीं जो शेष जीवन में जहर घोल सकती हैं। लेकिन प्रतियोगी और परिजन, सब सहज प्रसन्न्ता के साथ तालियां बजा रहे थे। दरअसल उन्हें एक करोड़ रुपये दिख रहे थे। सच कबूलने के इतने पैसे मिलें तो सब पाप माफ। लेकिन खाली हाथ लौटे प्रतियोगी के पाप को कौन अपनायेगा? स्मिता ने तो मान लिया कि वह ग्राहकों को बासी खाना परोसती है। कौन लेगा उससे टिफिन? कार्यस्थल पर यात्री का सामान चुराने वाले के लिए भला किस कंपनी में जगह? चोरी का कोई पुराना केस भी खुल जाये तो क्या कहना!

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


हिंसा में मनोरंजन

-रघुवीर सहाय

अत्याचार के शिकार के लिए
समाज के मन में जगह नहीं
तब जो बताते हैं
वह उसका दुख नहीं
आपका मनोरंजन होता है.
Quotations about Media

They kill good trees to put out bad newspapers.
-James G. Watt, quoted in Newsweek, 8 March 1982

Journalism largely consists in saying "Lord Jones is dead" to people who never knew Lord Jones was alive.
-G.K. Chesterton

Journalism is literature in a hurry.
-Matthew Arnold

Advertisements contain the only truths to be relied on in a newspaper.
-Thomas Jefferson

Newspapers are unable, seemingly, to discriminate between a bicycle accident and the collapse of civilisation.
-George Bernard Shaw, 1931

A free press can, of course, be good or bad, but, most certainly without freedom, the press will never be anything but bad.
-Albert Camus
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------